हिंदी कवि सम्मेलन और भारतीय परिवेश

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हिंदी कवि सम्मेलन और भारतीय परिवेश के साथ एक गहरा रिश्ता है. समाज का एक बड़ा वर्ग मनोरंजन के साथ साथ जीवन को नई दिशा देने के लिये कवि सम्मेलन का सहारा लेता है. भारतीय परिवेश के लिये कवि सम्मेलन का आयोजन नया नहीं है. गुजरते दौर के साथ कवि सम्मेलन ने लोगों की अभिरुचियों को ध्यान में रखकर अपने स्वरूप में भी बदलाव किया है.

कवि सम्मेलनों में लोगों की होने वाली भारी भीड़ बताती है कि लोग साहित्य की विधा के रूप में और एक स्वस्थ मनोरंजन के रूप में कवि सम्मेलन को अपने जीवन में विशेष स्थान देते हैं. यह सच है कि कवि सम्मेलन ने आधुनिक परिस्थितियों से कदम मिलाते हुये कम अवधि के आयोजन करना आरंभ कर दिया है जिससे व्यस्त जीवन शैली के लोग भी इसके लिये समय निकाल पाते हैं.

जहां कवि सम्मेलनों ने अपना स्वरूप बदला है, वहीं अपने परंपरागत रूप को भी कायम रखा है. सारी रात चलने वाले कवि सम्मेलन आज अभी लोकप्रिय है. रामलीला के अवसर पर होने वाले कवि सम्मेलनों की भारी भीड़ भारतीय जनमानस के मध्य कवि सम्मेलनों की महत्वपूर्ण स्थान को दर्शाती है. संचार के माध्यम से भी कवि सम्मेलन ने जनमानस के बीच अपना लोकप्रिय स्थान बनाया है जोकि काफ़ी दिलचस्प है.

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